Jaun Eliya Shayari in Hindi: मैं हूँ न क़त्ल कोई तमाशा किए बग़ैर ग़ज़ल हम जी रहे हैं कोई बहाना किए बग़ैर उस के बग़ैर उस...
Classical Shayari: उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़ ग़ज़ल हुस्न-ए-मह गरचे ब-हंगाम-ए-कमाल अच्छा है उस से मेरा मह-ए-ख़ुर्शीद-जमाल अच्छा है बोसा...