वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी इंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
घर की फ़ज़ा को चुप सी लगी थी दफ़्तर में ख़ामोशी थी। जो दर खोला ऐसा खोला दर दर में ख़ामोशी थी। कल की रात ऐसी...
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