Classical Shayari: ग़ज़ल इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है ये किस का तसव्वुर है ये किस का फ़साना...
Classical Shayari: उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़ ग़ज़ल हुस्न-ए-मह गरचे ब-हंगाम-ए-कमाल अच्छा है उस से मेरा मह-ए-ख़ुर्शीद-जमाल अच्छा है बोसा...
Classical Shayari: दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में, बहादुर शाह ज़फर की शायरी ग़ज़ल लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में किस की...