हेल्थ
Reels Effects: रील्स सिर्फ मनोरंजन नहीं, दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी खतरा
आपने कभी सोचा है कि जिस चीज़ को हम मनोरंजन के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, वही हमारी मानसिक सेहत (Mental Health) के लिए खतरा भी बन रही है? हाल के शोध और मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि रील्स की आदत धीरे-धीरे हमारी सोचने-समझने की क्षमता, नींद और मानसिक

Reels Effects: आज की डिजिटल दुनिया में सोशल मीडिया का क्रेज़ तेजी से बढ़ रहा है। इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लोग घंटों समय बिताते हैं। खासकर रील्स (Reels) यानी छोटे-छोटे वीडियोज़ ने मनोरंजन का तरीका पूरी तरह बदल दिया है। कुछ सेकंड का कंटेंट तुरंत हंसी, मज़ा और रोमांच दे देता है। यही वजह है कि यह हर उम्र के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया है।
लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि जिस चीज़ को हम मनोरंजन के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, वही हमारी मानसिक सेहत (Mental Health) के लिए खतरा भी बन रही है? हाल के शोध और मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि रील्स की आदत धीरे-धीरे हमारी सोचने-समझने की क्षमता, नींद और मानसिक संतुलन को नुकसान पहुंचा रही है।
रील्स कैसे करती हैं दिमाग पर असर?
रील्स देखने से दिमाग में डोपामिन (Dopamine) नामक रसायन रिलीज़ होता है। इसे “हैप्पी हार्मोन” भी कहा जाता है, क्योंकि यह हमें खुशी और संतुष्टि का अहसास कराता है।
समस्या तब शुरू होती है जब दिमाग बार-बार इसी डोपामिन की मांग करने लगता है
- एक रील देखने के बाद तुरंत अगली देखने का मन करता है।
- फिर दूसरी, तीसरी और यूं ही घंटों गुजर जाते हैं।
- दिमाग को यह आदत लग जाती है कि खुशी पाने का सबसे आसान तरीका रील्स देखना है।
इसका नतीजा यह होता है कि हम किसी काम में ध्यान नहीं लगा पाते। चाहे पढ़ाई हो, नौकरी हो या परिवार के साथ समय बिताना हो—दिमाग बार-बार फोन की ओर खिंचता है।
बच्चों और युवाओं पर सबसे बड़ा खतरा
रील्स का सबसे ज्यादा असर बच्चों और युवाओं पर पड़ रहा है।
स्कूल जाने वाले बच्चे पढ़ाई छोड़कर घंटों फोन में रील्स देखते रहते हैं।
कॉलेज स्टूडेंट्स का ध्यान पढ़ाई से हटकर लगातार मनोरंजन की ओर चला जाता है।
दिमाग की एकाग्रता (Concentration) और याददाश्त (Memory) पर इसका बुरा असर पड़ता है।
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि ज्यादा रील्स देखने से Attention Span यानी ध्यान लगाने की क्षमता कम होती जा रही है। पहले जहां बच्चे घंटों एक विषय पर ध्यान दे पाते थे, अब वे कुछ मिनट से ज्यादा एक जगह फोकस नहीं कर पाते।
नींद और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है असर
रील्स का एक और खतरनाक पहलू है—नींद।
- लोग रात को सोने से पहले फोन हाथ में लेकर रील्स देखने लगते हैं।
- “बस 10 मिनट” कहकर शुरू करते हैं, लेकिन यह घंटों खिंच जाता है।
- स्क्रीन की रोशनी और लगातार बदलते विजुअल्स दिमाग को उत्तेजित कर देते हैं, जिससे नींद आने में दिक्कत होती है।
लंबे समय तक ऐसा करने से नींद की गुणवत्ता (Sleep Quality) खराब हो जाती है। इसके चलते:
- सुबह थकान महसूस होती है।
- चिड़चिड़ापन बढ़ता है।
- तनाव (Stress) और डिप्रेशन (Depression) जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
सोशल लाइफ पर असर
रील्स का एक और बड़ा नुकसान है—सोशल रिलेशनशिप पर असर।
- लोग दोस्तों या परिवार के साथ बैठकर भी फोन पर रील्स देखते रहते हैं।
- बातचीत कम हो रही है, असली रिश्तों में दूरी बढ़ रही है।
- असली जीवन से ज्यादा लोग वर्चुअल दुनिया में जीने लगे हैं।
यह स्थिति धीरे-धीरे इंसान को अकेलेपन (Loneliness) और सामाजिक अलगाव (Social Isolation) की ओर ले जाती है।
स्कैम और गलत जानकारी का खतरा
रील्स का इस्तेमाल केवल मनोरंजन के लिए नहीं किया जाता, बल्कि कई बार इसके जरिए गलत जानकारी और अफवाहें भी फैलाई जाती हैं।
- फेक न्यूज़
- गुमराह करने वाले वीडियो
- खतरनाक चैलेंजेज़
ये सब मिलकर युवाओं और बच्चों को गलत दिशा में ले जा सकते हैं।
क्या रील्स पूरी तरह खराब हैं?
यह कहना गलत होगा कि रील्स का इस्तेमाल हमेशा नुकसानदायक ही है। सही तरीके से इस्तेमाल करने पर यह मनोरंजन, ज्ञान और मोटिवेशन का अच्छा साधन भी हो सकता है।
- कई लोग रील्स देखकर नई स्किल्स सीखते हैं।
- फिटनेस, कुकिंग, एजुकेशन और करियर गाइडेंस जैसे विषयों पर अच्छी जानकारी मिलती है।
समस्या तब होती है जब हम इन्हें कंट्रोल के बिना और अत्यधिक समय तक इस्तेमाल करते हैं।
क्या है समाधान?
रील्स की लत से बचने के लिए कुछ आसान उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- टाइम लिमिट सेट करें
- फोन की सेटिंग्स में स्क्रीन टाइम लिमिट ऑन करें।
- दिन में केवल 30 मिनट से ज्यादा रील्स देखने से बचें।
- सोने से पहले फोन बंद करें
- सोने से कम से कम 1 घंटा पहले फोन को साइड रख दें।
- इससे नींद बेहतर होगी और मानसिक तनाव कम होगा।
- हेल्दी एक्टिविटीज़ अपनाएं
- किताब पढ़ना, म्यूजिक सुनना, टहलना या योग करना शुरू करें।
- ये सब दिमाग को शांत और रिलैक्स करते हैं।
- बच्चों पर नज़र रखें
- बच्चों को रील्स देखने की आदत से बचाएं।
- उन्हें डिजिटल डिटॉक्स (Digital Detox) के फायदे समझाएं।
रील्स मनोरंजन का नया और आसान तरीका हैं, लेकिन जब ये हमारी जीवनशैली और मानसिक संतुलन पर हावी हो जाती हैं, तो इनके नुकसान बहुत गहरे होते हैं। खासकर युवाओं और बच्चों में यह आदत उनकी पढ़ाई, नींद, रिश्तों और मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ रही है।
इसलिए ज़रूरी है कि हम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल समझदारी से करें। संतुलन बनाए रखें और रील्स को सिर्फ एक मनोरंजन का साधन बनाकर रखें, न कि अपनी जिंदगी का हिस्सा।