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साहित्य

life Shayari: ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो

ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो

मैं क़त्ल हुआ कैसे मेरे यार से

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life Shayari: ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो

ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो

मैं क़त्ल हुआ कैसे मेरे यार से पूछो

फ़र्ज़ अपना मसीहा ने अदा कर दिया लेकिन

किस तरह कटी रात ये बीमार से पूछो

कुछ भूल हुई है तो सज़ा भी कोई होगी

सब कुछ मैं बता दूँगा ज़रा प्यार से पूछो

आँखों ने तो चुप रह के भी रूदाद सुना दी

क्यूँ खुल न सके ये लब-ए-इज़हार से पूछो

रौनक़ है मिरे घर में तसव्वुर ही से जिस के

वो कौन था ‘राही’ दर-ओ-दीवार से पूछो

Poet: सईद राही

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