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EC News: कांग्रेस ने लगाया ‘वोट चोरी’ का आरोप, चुनावी सियासत में बढ़ी गरमी

चुनाव आयोग ने कांग्रेस के इन आरोपों को निराधार और तथ्यहीन बताया। आयोग ने कहा कि चुनाव पूरी तरह पारदर्शी रहे हैं और कांग्रेस को यदि संदेह है तो वह अदालत का रुख करे। साथ ही, राहुल गांधी को आरोपों

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EC News: कांग्रेस ने लगाया ‘वोट चोरी’ का आरोप, चुनावी सियासत में बढ़ी गरमी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है और लाखों फर्जी वोट जोड़े गए हैं। इस आरोप ने देश की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है।

कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण देते हुए दावा किया कि यहां 1 लाख से ज्यादा संदिग्ध वोट पाए गए, जबकि जीत का अंतर सिर्फ 32,707 वोटों का था। पार्टी का आरोप है कि कई राज्यों में भी मतदाता सूची में असामान्य बढ़ोतरी हुई है, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकती है।

चुनाव आयोग का जवाब

Election Commission ने कांग्रेस के इन आरोपों को निराधार और तथ्यहीन बताया। आयोग ने कहा कि चुनाव पूरी तरह पारदर्शी रहे हैं और कांग्रेस को यदि संदेह है तो वह अदालत का रुख करे। साथ ही, राहुल गांधी को आरोपों के समर्थन में ठोस सबूत देने की चुनौती दी गई है।

विरोध और आंदोलन

राहुल गांधी ने बिहार से ‘वोट अधिकार यात्रा’ की शुरुआत की है, जिसमें विपक्षी दल भी साथ खड़े हैं।

दिल्ली में एक विरोध मार्च के दौरान राहुल गांधी और कई नेताओं को हिरासत में लिया गया।

नागपुर, छिंदवाड़ा समेत अन्य जगहों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कैंडल मार्च और धरना प्रदर्शन किया।

राजनीतिक माहौल

  • विपक्ष: प्रियंका गांधी, शशि थरूर और अन्य विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि यह लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश है।
  • भाजपा: भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि यह आरोप हार की हताशा का नतीजा है। भाजपा का कहना है कि जब कांग्रेस जीतती है तो उसे चुनाव आयोग पर भरोसा होता है, लेकिन हारने पर वह संस्थाओं को कटघरे में खड़ी करती है।

आने वाले चुनावों पर असर

1. सितंबर-अक्टूबर में बढ़ेगा सियासी टकराव

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले महीनों में कांग्रेस इस मुद्दे को और उभार सकती है। राहुल गांधी की यात्राएँ और विरोध-प्रदर्शन विपक्ष को एकजुट करने का काम कर सकते हैं। वहीं भाजपा इस मुद्दे को “नकारात्मक राजनीति” करार देकर पलटवार करेगी।

2. जनता में अविश्वास का खतरा

इस विवाद से आम मतदाताओं में भी सवाल उठ रहे हैं। यदि मतदाता सूची और चुनावी प्रक्रिया पर भरोसा कमज़ोर होता है, तो यह लोकतांत्रिक संस्थाओं की साख पर असर डाल सकता है।

3. चुनावी रणनीति पर असर

  • कांग्रेस इस मुद्दे को “लोकतंत्र बचाओ अभियान” के रूप में पेश कर सकती है।
  • भाजपा अपनी रणनीति में चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और विकास कार्यों को मुख्य मुद्दा बनाएगी।
  • क्षेत्रीय दल यह देख रहे हैं कि जनता किस ओर झुकती है, ताकि वे अपने गठबंधन की रणनीति तय कर सकें।

4. अदालत का रुख

सर्वोच्च अदालत में यह मुद्दा उठाया जा चूका है और अदालत ने भी विपक्ष को रहत देते हुए अंतरिम निर्णय दिया है, कानूनी लड़ाई से यह मुद्दा और लंबे समय तक राजनीति में बना रहेगा। इससे चुनावी माहौल और गरमा सकता है।

वोट चोरी’ का विवाद सिर्फ एक चुनावी आरोप नहीं, बल्कि आने वाले महीनों में देश की राजनीति का केंद्रीय मुद्दा बन सकता है। सितंबर और अक्टूबर में इस पर बहस और टकराव और तेज़ होने की संभावना है। जहां कांग्रेस इसे लोकतंत्र की रक्षा का सवाल बता रही है, वहीं भाजपा और चुनाव आयोग इसे झूठा प्रचार करार दे रहे हैं। आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किस पक्ष पर भरोसा करती है।

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