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Mental Health: डिप्रेशन से सबसे ज्यादा जूझते हैं हाईली सेंसिटिव लोग, जानें कैसे करें बचाव
एक हालिया स्टडी ने खुलासा किया है कि हर तीसरा इंसान हाईली सेंसिटिव पर्सनैलिटी का होता है और ऐसे लोग डिप्रेशन व मानसिक समस्याओं से जल्दी प्रभावित होते हैं। लेकिन सही जीवनशैली और आत्म-देखभाल से इसे मैनेज किया जा सकता है।

Mental Health: आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। चिंता (Anxiety), तनाव (Stress) और डिप्रेशन (Depression) अब आम होते जा रहे हैं। हाल ही में हुई एक रिसर्च ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि एक खास तरह की पर्सनैलिटी — जिसे हम हाईली सेंसिटिव पर्सनैलिटी (Highly Sensitive Personality – HSP) कहते हैं — डिप्रेशन का सबसे ज्यादा शिकार होती है।
यह रिसर्च 12,000 से ज्यादा प्रतिभागियों पर की गई और इसमें पाया गया कि लगभग हर तीसरा इंसान हाईली सेंसिटिव होता है। ऐसे लोग बाहरी माहौल और परिस्थितियों के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। वे अच्छी और बुरी दोनों परिस्थितियों को गहराई से महसूस करते हैं, इसलिए मानसिक दबाव और नकारात्मक भावनाओं का असर उन पर ज्यादा पड़ता है।
हाईली सेंसिटिव पर्सनैलिटी (HSP) क्या है?
हाईली सेंसिटिव पर्सनैलिटी का मतलब है कि व्यक्ति का दिमाग और दिल बाहरी परिस्थितियों को सामान्य से ज्यादा गहराई से महसूस करता है।
- ऐसे लोग दूसरों की तकलीफ देखकर खुद भावुक हो जाते हैं।
- छोटी-छोटी बातें उन्हें लंबे समय तक परेशान कर सकती हैं।
- तेज़ आवाज़, भीड़भाड़, या बहुत सारी जिम्मेदारियाँ एक साथ आना उन्हें तनावग्रस्त कर सकती हैं।
- ये लोग किसी भी घटना का बहुत गहराई से विश्लेषण करते हैं और कई बार उसी सोच में फंस जाते हैं।
दूसरे शब्दों में कहें तो हाईली सेंसिटिव लोग दुनिया को बाकी लोगों से ज्यादा तीव्रता से महसूस करते हैं।

क्यों ज्यादा होती है डिप्रेशन की संभावना?
रिसर्च के मुताबिक, हाईली सेंसिटिव लोगों में डिप्रेशन और एंग्जायटी की संभावना सामान्य लोगों से ज्यादा होती है। इसके पीछे कुछ कारण हैं:
- ओवरथिंकिंग (Overthinking)
HSP व्यक्तियों का दिमाग छोटी-छोटी बातों पर भी ज्यादा सोचने लगता है। बार-बार सोचना और नकारात्मक विचारों में उलझना उन्हें डिप्रेशन की ओर ले जा सकता है। - इमोशनल थकान (Emotional Fatigue)
ये लोग दूसरों की भावनाओं को बहुत गहराई से महसूस करते हैं। दूसरों की परेशानी में खुद भी डूब जाते हैं, जिससे मानसिक थकान और तनाव बढ़ता है। - क्रिटिसिज्म को ज्यादा महसूस करना (High Sensitivity to Criticism)
सामान्य मज़ाक या हल्की आलोचना भी इनके लिए दिल दुखाने वाली हो सकती है। ये लोग अपने आत्म-सम्मान को लेकर बहुत सतर्क रहते हैं। - सोशल प्रेशर (Social Pressure)
समाज में फिट होने, सभी को खुश रखने और बेहतर करने का दबाव भी इन्हें तनावग्रस्त कर देता है। - नकारात्मक माहौल का ज्यादा असर (Impact of Negative Environment)
यदि पारिवारिक या कार्यस्थल का माहौल तनावपूर्ण हो तो HSP व्यक्ति जल्दी टूटने लगते हैं।
हाईली सेंसिटिव होने के फायदे भी हैं
हालांकि HSP होना हमेशा नकारात्मक नहीं है। इसके कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं:
- ऐसे लोग क्रिएटिव (रचनात्मक) होते हैं।
- उनमें सहानुभूति (Empathy) की भावना ज्यादा होती है।
- कला, संगीत, लेखन और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में ये लोग बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं।
- ये लोग दूसरों की भावनाओं को समझकर रिश्तों को गहराई से निभाते हैं।
यानी कि HSP होना कमजोरी नहीं है, बल्कि इसे सही तरीके से मैनेज करना ज़रूरी है।
हाईली सेंसिटिव लोग कैसे रखें अपना ख्याल?
अगर आप खुद को या अपने आसपास किसी को हाईली सेंसिटिव पाते हैं, तो मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं:
1. अपनी भावनाओं को स्वीकारें
खुद को दोषी ठहराने के बजाय यह मानें कि आपकी संवेदनशीलता आपकी पर्सनैलिटी का हिस्सा है। इसे कमजोरी न मानें।
2. सीमाएँ तय करें (Set Boundaries)
हर बात में खुद को शामिल न करें। “ना” कहना सीखें। अपनी मानसिक शांति को प्राथमिकता दें।
3. डिजिटल डिटॉक्स करें
सोशल मीडिया और ओवरइंफॉर्मेशन से दूरी बनाना बहुत ज़रूरी है। नकारात्मक खबरें और तुलना मानसिक बोझ बढ़ाती हैं।
4. मेडिटेशन और योग
ध्यान (Meditation) और योग (Yoga) मानसिक शांति और संतुलन लाने के लिए बेहद असरदार हैं।
5. पॉजिटिव लोगों के साथ समय बिताएँ
ऐसे लोगों की संगत करें जो आपको समझें और सकारात्मक ऊर्जा दें।
6. जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल मदद लें
अगर डिप्रेशन या एंग्जायटी बहुत बढ़ जाए तो साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर की मदद लेने में झिझकें नहीं।
इस रिसर्च ने साफ कर दिया है कि हाईली सेंसिटिव पर्सनैलिटी वाले लोग मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे हमेशा डिप्रेशन के शिकार होंगे। सही जागरूकता, संतुलित जीवनशैली और आत्म-देखभाल (Self-care) से वे न सिर्फ मानसिक समस्याओं से बच सकते हैं, बल्कि जीवन में बड़ी सफलता भी हासिल कर सकते हैं।
संवेदनशीलता को कमजोरी नहीं, बल्कि एक ताकत की तरह इस्तेमाल करने की ज़रूरत है।