मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ तू किसी रेल सी गुज़रती है मैं किसी...
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है अच्छा सा कोई मौसम तन्हा सा कोई आलम...
My Life Shayari: अपनी हैरत गंवा चुका हूँ मैं, अमरदीप सिंह ‘अमर’ शब की बाहों में है निढाल कोई काश पूछे न हाल-चाल कोई बे-ज़रूरत सी ...
घर की फ़ज़ा को चुप सी लगी थी दफ़्तर में ख़ामोशी थी। जो दर खोला ऐसा खोला दर दर में ख़ामोशी थी। कल की रात ऐसी...
समझता हूँ कि तू मुझ से जुदा है शब-ए-फ़ुर्क़त मुझे क्या हो गया है तिरा ग़म क्या है बस ये जानता हूँ कि मेरी ज़िंदगी मुझ...
मेहरबां हो के बुला लो मुझे चाहो जिस वकत मैं गया वकत नहीं हूं कि फिर आ भी न सकूं जोफ़ में ताना–ए–अग़यार का शिकवा क्या...
पहले सबको ज़ख़्म दिखाना पड़ता है फिर पलकों से नमक उठाना पड़ता है ख़ुद से ख़ुद तक दूरी तो है मामूली बीच में लेकिन एक ज़माना...