दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है अच्छा सा कोई मौसम तन्हा सा कोई आलम...
समझता हूँ कि तू मुझ से जुदा है शब-ए-फ़ुर्क़त मुझे क्या हो गया है तिरा ग़म क्या है बस ये जानता हूँ कि मेरी ज़िंदगी मुझ...
मेहरबां हो के बुला लो मुझे चाहो जिस वकत मैं गया वकत नहीं हूं कि फिर आ भी न सकूं जोफ़ में ताना–ए–अग़यार का शिकवा क्या...