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Classical Shayari: ये दिल ये पागल दिल मिरा क्यूँ बुझ गया आवारगी Classical Shayari: ये दिल ये पागल दिल मिरा क्यूँ बुझ गया आवारगी

साहित्य

Classical Shayari: ये दिल ये पागल दिल मिरा क्यूँ बुझ गया आवारगी

ये दिल ये पागल दिल मिरा क्यूँ बुझ गया आवारगी इस दश्त में इक शहर था वो क्या

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