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Classical Shayari: हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है Classical Shayari: हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है

साहित्य

Classical Shayari: हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है

Classical Shayari: ग़ज़ल इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है ये किस का...

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