Connect with us

साहित्य

Khamoshi Shayari: लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई, मुज़फ्फ़र रज़्मी की विश्व प्रसिद्ध ग़ज़ल

Published

on

Khamoshi Shayari: लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई, मुज़फ्फ़र रज़्मी की विश्व प्रसिद्ध ग़ज़ल

Khamoshi Shayari: लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई, मुज़फ्फ़र रज़्मी की विश्व प्रसिद्ध ग़ज़ल

khamoshi shayari-

ग़ज़ल

इस राज़ को क्या जानें साहिल के तमाशाई

हम डूब के समझे हैं दरिया तिरी गहराई

जाग ऐ मिरे हम-साया ख़्वाबों के तसलसुल से

दीवार से आँगन में अब धूप उतर आई

चलते हुए बादल के साए के तआक़ुब में

ये तिश्ना-लबी मुझ को सहराओं में ले आई

ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने

लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई

क्या सानेहा याद आया ‘रज़्मी’ की तबाही का

क्यूँ आप की नाज़ुक सी आँखों में नमी आई

मुज़फ़्फ़र रज़्मी

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WhatsApp Channel Join Now

Copyright © 2024 Topnewser.com