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साहित्य

Peace Shayari in Hindi: आलम पे रहम करने को आ जाओ फिर से बुद्ध!

भटके जहां को राह दिखा जाओ फिर से बुद्ध!

इन्सानियत के वास्ते आ जाओ फिर से बुद्ध!

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Peace Shayari in Hindi: आलम पे रहम करने को आ जाओ फिर से बुद्ध!

Peace Shayari in Hindi: आलम पे रहम करने को आ जाओ फिर से बुद्ध!

Peace Shayari in Hindi:

ग़ज़ल

भटके जहां को राह दिखा जाओ फिर से बुद्ध!

इन्सानियत के वास्ते आ जाओ फिर से बुद्ध!

ये चल पड़े हैं फिर से तशद्दुद की राह पर

सिद्क़ो-अमां का दर्स पढ़ा जाओ फिर से बुद्ध!

शहवत में फँस चुके हैं, रियाज़त से दूर हैं

ऐबों से अब निजात दिला जाओ फिर से बुद्ध!

अय्याशियों में ग़र्क़ हैं, हर पल करें गुनाह

इर्फ़ानियत का पाठ पढ़ा जाओ फिर से बुद्ध!

आएँ ये रास्ते पे नसीहत से आप की

आलम पे रहम करने को आ जाओ फिर से बुद्ध!

नलिनी विभा ‘नाज़ली’

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