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साहित्य

Love Hindi Poetry: मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिए।

छत टपकती थी अगरचे फिर भी आ जाती थी नींद

मैं नए घर में बहुत रोया पुराने के लिए

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Love Hindi Poetry: मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिए।

Love Hindi Poetry:

ग़ज़ल

मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिए

बन गई है मसअला सारे ज़माने के लिए

रेत मेरी उम्र मैं बच्चा निराले मेरे खेल

मैं ने दीवारें उठाई हैं गिराने के लिए

वक़्त होंटों से मिरे वो भी खुरच कर ले गया

इक तबस्सुम जो था दुनिया को दिखाने के लिए

आसमाँ ऐसा भी क्या ख़तरा था दिल की आग से

इतनी बारिश एक शोले को बुझाने के लिए

छत टपकती थी अगरचे फिर भी आ जाती थी नींद

मैं नए घर में बहुत रोया पुराने के लिए

देर तक हँसता रहा उन पर हमारा बचपना

तजरबे आए थे संजीदा बनाने के लिए

मैं ‘ज़फ़र’ ता-ज़िंदगी बिकता रहा परदेस में

अपनी घर-वाली को इक कंगन दिलाने के लिए

ज़फ़र गोरखपुरी

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