साहित्य
Love Poetry in Hindi: वही होगा जो हुआ है जो हुआ करता है
जानता था कि सितमगर है मगर क्या कीजे
दिल लगाने के लिए और कोई था भी नहीं
Love Poetry in Hindi: वही होगा जो हुआ है जो हुआ करता है
Love Poetry in Hindi
मत बुरा उस को कहो गरचे वो अच्छा भी नहीं
वो न होता तो ग़ज़ल मैं कभी कहता भी नहीं
जानता था कि सितमगर है मगर क्या कीजे
दिल लगाने के लिए और कोई था भी नहीं
जैसा बे-दर्द हो वो फिर भी ये जैसा महबूब
ऐसा कोई न हुआ और कोई होगा भी नहीं
वही होगा जो हुआ है जो हुआ करता है
मैं ने इस प्यार का अंजाम तो सोचा भी नहीं
हाए क्या दिल है कि लेने के लिए जाता है
उस से पैमान-ए-वफ़ा जिस पे भरोसा भी नहीं
बारहा गुफ़्तुगू होती रही लेकिन मिरा नाम
उस ने पूछा भी नहीं मैं ने बताया भी नहीं
तोहफ़ा ज़ख़्मों का मुझे भेज दिया करता है
मुझ से नाराज़ है लेकिन मुझे भूला भी नहीं
दोस्ती उस से निबह जाए बहुत मुश्किल है
मेरा तो वा’दा है उस का तो इरादा भी नहीं
मेरे अशआर वो सुन सुन के मज़े लेता रहा
मैं उसी से हूँ मुख़ातिब वो ये समझा भी नहीं
मेरे वो दोस्त मुझे दाद-ए-सुख़न क्या देंगे
जिन के दिल का कोई हिस्सा ज़रा टूटा भी नहीं
मुझ को बनना पड़ा शाइ’र कि मैं अदना ग़म-ए-दिल
ज़ब्त भी कर न सका फूट के रोया भी नहीं
शाइरी जैसी हो ‘आजिज़’ की भली हो कि बुरी
आदमी अच्छा है लेकिन बहुत अच्छा भी नहीं
कलीम आजिज़